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लेखनी प्रतियोगिता -02-Apr-2022

तेरे दिये जख़्मों को उपहार समझकर

तेरे छल प्रपंचों को प्यार समझकर
एतबार करता रहा मैं यार समझकर
दिल खिलता रहा दिलदार समझकर

टूटा है मेरा एतबार तुझसे, प्रेम से नहीं
चुना था मैंने तुझे तस्वीर से, फ्रेम से नहीं 
सीरत बदलती गई तेरी, तस्वीर थमी रही
शायद मेरे ही व्यवहार में कोई कमी रही
मैंने किया नहीं इश्क़ व्यापार समझकर
मैं ख़ुश हूं जख़्मों को उपहार समझकर

आओं चलों फिर एक दुनिया सजाएं
करो फिर से प्रेम, दिल फिर से बहलाए
हो किसी भी तरह, दुनिया में प्यार रहें
क़ायम लैला-मजनूं वाला एतबार रहें
निभाता रहा इश्क़ जिम्मेदार समझकर
मैं ख़ुश हूं जख़्मों को उपहार समझकर





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16 Comments

Shnaya

03-Apr-2022 02:45 PM

Nice one 👌

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Abhinav ji

03-Apr-2022 08:02 AM

Nice👍

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Punam verma

03-Apr-2022 07:29 AM

Nice

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